ना मैने कोई पुण्य किया।
ना पाप मेरे रुकते है।
मन का भी कहां अच्छा हूं?
पर मैं तो मां का बच्चा हूं।
पूजा पाठ न मुझे आता है।
ना मुख कोई भजन गाता है।
वाणी का भी कहां सच्चा हूं?
पर मैं तो मां का बच्चा हूं।
मठ मंदिर मैं नहीं जाता हूं।
सेवा भी नहीं कर पाता हूं।
व्यवहार में भी तो कच्चा हूं।
पर मैं तो मां का बच्चा हूं।
मन तो मेरा अति लोभी है।
सोते जगते कुछ चाहता है।
काम क्रोध से सींचा हूं।
पर मैं तो मां का बच्चा हूं।
तीर्थ में मैं नहीं नहाता हूं।
दान भी तो नहीं दे पाता हूं।
अच्छा भी मैं कहां सोचा हूं?
पर मैं तो मां का बच्चा हूं।
...बस मैं तो भगवती मां का बच्चा हूं।
🙏🏽🙏🏽🙏🏽
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