ॐ नमो भगवते श्री रमणाय नमः ||
लगे जीवनसा जैसे स्वप्नों का उड़ान
वैसे ही जागृत अवस्था स्वप्न समान
इतना गहरा है यह भवसागर
क्यों वापस डूबना है नापकर?
त्याग दो सभी संसारों का भोग
क्योंकि यह शरीर ही है एक रोग
जानो यह लोभ है माया की शक्ति
पाओ मोक्ष जो है जीवन मरण से मुक्ति
करो नित्यानित्य आत्मविचार
यही है सारे वेदों का सार
श्री रमणार्पणमास्तु ||
लगे जीवनसा जैसे स्वप्नों का उड़ान
वैसे ही जागृत अवस्था स्वप्न समान
इतना गहरा है यह भवसागर
क्यों वापस डूबना है नापकर?
त्याग दो सभी संसारों का भोग
क्योंकि यह शरीर ही है एक रोग
जानो यह लोभ है माया की शक्ति
पाओ मोक्ष जो है जीवन मरण से मुक्ति
करो नित्यानित्य आत्मविचार
यही है सारे वेदों का सार
श्री रमणार्पणमास्तु ||
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